40 चौपईयो में छुपा है जीवन में सफलता का सबसे बड़ा राज (Hanuman chalisa ) Hanuman chalisa (हनुमान चालीसा )
हनुमान चालीसा के गुणों को हम सब जानते हैं आइए आज जानते हैं हनुमान चालीसा के कुछ और महत्वपूर्ण जानकारी……
Hanuman chalisa अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं, तो यह आपको भीतरी (अंतरिक )शक्ति तो दे रही है किन्तु अगर आप इसके अर्थ में छिपे जीवन के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में ये सूत्र सफलता दिला सकते हैं।
हनुमान चालीसा के बारे मे :-
त्रेता युग मे सम्पूर्ण राक्षसो का विनाश कर रामराज्य स्थापित कर भगवान श्री राम अपने भ्राता लक्षमण, पत्नि सीता, और सहयोगीगणों के साथ अपने निज धाम पधारने लगे तो हनुमान जी अपने प्रभु भगवान के बिना कैसे रह सकते थे, किन्तु प्रभु ने उन्हे कलयुग मे सज्जनों की रक्षा और दुष्टों के दलन के लिये पृथ्वी मे ही रुकने का आदेश दिया । और माता सीता के प्रथम पुत्र के रूप मे चिरंजीवी अर्थात अमृत्व का वरदान दिया कवि तुलसीदास जी ने अवधि भाषा मे लिखी है | रामचरितमानस तथा हनुमान चालीसा की एक-एक चौपाई भगवान शिव द्वारा रचित शाबर मंत्र है। जिनके पाठ करने से जातक की सभी समस्याओं का समाधान होता है। हनुमान जी पवन पुत्र है और हनुमान जी हर समय आपके पास हवा के रूप मे हनुमान उपस्थित रह सकते है यदि आपने हनुमान चालीसा का मन से जाप पाठ किया तो हनुमान चालीसा के चोपाईयों के बारे मे जान कर आप हर काम मे हर क्षेत्र मे सफलता पा सकते है |
हनुमान चालीसा मे शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। जिनको जानकर नियम से श्री हनुमान चालीसा पढ़ने से सफलता प्राप्त कि जा सकती है |
Hanuman chalisa के महत्वपूर्ण बिंदु
1 – हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई प्रथम चालीसा है शेष ( बाकि )सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई। हनुमान चालीसा मे 40 चौपईया और 3 दोहे है |
Hanuman chalisa श्री हनुमान चालीसा
2 – श्री हनुमान चालीसा में 40 चौपईया हैं , ये सभी चौपईया उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम इंसान की जिंदगी का क्रम होता है।
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3 – ग्रंथो के अनुसार माना जाता है तुलसीदास जी ने चालीसा की रचना मानस से पूर्व किये थे, हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की।
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4 – हनुमान चालीसा को कुछ ही बार पढ़ने से कंठस्थ तोर पर ज्ञात हो जाती है | किन्तु फिर भी पढ़ने मे कोई भी गलती ना हो इसलिए सामने रख कर ही पढ़ना चाहिए |
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5 – श्री हनुमान चालीसा का नित्य नियम से पाठ करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है |
Hanuman chalisa
6- अवधि भाषा में लिखी में लिखी गई हनुमान चालीसा
Hanuman chalisa
7- हनुमान चालीसा को कवि तुलसीदास ने लिखा है |
आईये जानते है, आप अपने जीवन मे श्री हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa )से क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं….
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हनुमान चालीसा
हनुमान चालीसा के महत्पूर्ण सूत्र
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से गुरु कृपा होती है 👇
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥१
अर्थ – अपने गुरु के चरणों कि धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं। श्री रघुवीर के निर्मल यश को वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।
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गुरु जी का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता। गुरु ही है जो आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं। 1
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से बल बुद्धि और निरोगी काया मिलती है 👇
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥
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अर्थ :- हे पवन कुमार मैं आपको सुमिरन करता हूँ। पूजता हूँ आप तो जानते हैं, कि मेरी बुद्धि और शरीर निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से हनुमत कृपा मिलती है 👇
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर || 1||
Hanuman chalisa
अर्थ :-श्री हनुमान जी आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर आपकी जय हो तीनों लोकों,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से शारीरिक और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है | 👇
रामदूत अतुलित बल धामा, अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥ २
Hanuman chalisa
अर्थ :-हे पवनसुत अंजनी नंदन( पुत्र )! आपके समान दूसरा बलवान नही है।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से बुरी संगत से छुटकारा और अच्छे लोगो का साथ मिलता है 👇
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
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अर्थ- हे महावीर बजरंग बली आप विशेष पराक्रम शक्ति वाले है। आप खराब बुद्धि ( कुमती )को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से आर्थिक समृद्धि अच्छा खानपान, संस्कार और पहनावा प्राप्त होता है 👇
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥४॥
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अर्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हूए हैं।
आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं। आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। First impression अच्छा होना चाहिए। अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से विजय कि प्राप्ति होती है👇
हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजै॥५॥
Hanuman chalisa
अर्थ- आपके हाथ बज्र के समान और हाथो मे ध्वजा है, और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से प्रताप बढ़ता है 👇
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥६॥
Hanuman chalisa
अर्थ – हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से ज्ञान, बुद्धि और त्वरित बुद्धि कि प्राप्ति होती है👇
विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर || ७ ||
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अर्थ :- आप प्राचूर विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम जी के काज कार्य करने के लिए आतुर रहते है।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से रामकृपा और यश दिलाती है 👇
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया || ८ ||
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अर्थ :- आप श्री राम चरित को सुनने मे आनन्द रस लेते है। श्री राम,लखन और सीता आपके हृदय मे बसे रहते है
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से महान संकट में चमत्कारिक कृपा दिलाती है 👇
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा॥९॥
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अर्थ :- आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके.लंका को जलाया।
हनुमान चालीसा कि यह चोपाई के पाठ से भयानक संकट या शत्रुपक्ष से घिरने पर मदद मिलती है👇
भीम रुप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥१०॥
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अर्थ :- आपने विकराल (बहुत बड़ा )रुप धारण करके.राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया |
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से शारीरिक व्याधि निवारण मे मदद मिलती है 👇
लाय संजीवन लखन जियाये, श्रीरघुबीर हरषि लाये || ११ ||
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अर्थ :- आपने संजीवनी बुटी लाकर लक्ष्मणजी को पिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से वरिष्ठ(बड़े )लोगों की कृपा प्राप्त होती है 👇
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||१२ ||
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अर्थ :- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत समान प्यारे भाई हो।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से यश और मान सम्मान मिलता है 👇
सहस बदन तुम्हरो यश गावें, अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ||१३||
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अर्थ :- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगाया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से सभी ओर प्रसिद्धि और कीर्ति बढ़ती है 👇
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा, नारद सारद सहित अहीसा ॥१४||
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अर्थ :- श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से यश कीर्ति की वृद्धि होती है 👇
जम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते, कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५||
Hanuman chalisa
अर्थ :- यमराज,कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से राजकीय मान सम्मान दिलाती है। 👇
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राज-पद दीन्हा ॥१६||
Hanuman chalisa
अर्थ :- आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से हनुमान जी का विश्वास सभी ओर सफलता का सूचक है👇
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना, लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥१७||
Hanuman chalisa
अर्थ :- आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से सूर्यकृपा मिलती है, विद्या, ज्ञान और प्रतिष्ठा मिलती है👇
जुग सहस्त्र योजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||१८||
Hanuman chalisa
अर्थ :-जो सूर्य इतने अधिक दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया |
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से महान से महान संकट से मुक्ति दिलाती है 👇
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं,जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ||१९||
Hanuman chalisa
अर्थ :- आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है 👇
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
Hanuman chalisa
अर्थ :- संसार मे जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से प्रभु कृपा प्राप्त होती है👇
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ २१||
Hanuman chalisa
अर्थ :- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमे आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से जातक निर्भयता तथा सभी सुख प्राप्त करता है 👇
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥२२||
Hanuman chalisa
अर्थ :- जो भी आपकी शरण मे आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक. है, तो फिर किसी का डर नही रहता।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से जातक को अनंत कीर्ति प्राप्त होती है 👇
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै ॥ २३ ||
Hanuman chalisa
अर्थ :- आपके सिवाय आपके वेग को कोई नही रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से बुरी आत्मा, भूतप्रेत दूर भागते हैं 👇
भूत पिसाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै ॥ २४
अर्थ :-जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नही फटक सकते।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से सभी कष्टों का नाश होता है 👇
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा |। २५
अर्थ :- श्री वीर हनुमान जी आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ा मिट जाती है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से जातक को सभी बंधनों से मुक्त करता है 👇
संकट ते हनुमान छुड़ावै, मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥ २६
अर्थ -हे श्री हनुमान जी विचार करने मे, कर्म करने मे और बोलने मे, जिनका ध्यान आपमे रहता है, उनको सब संकटो से आप छुड़ाते है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से राजकीय कार्यों मे सफलता मिलती है👇
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा ॥ २७
अर्थ -तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज मे कर दिया।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से सभी मनोरथ सिद्ध करने वाली है👇
और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥ २८
अर्थ -जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन मे कोई सीमा नही होती।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से जातक की हर ओर कीर्ति मे वृद्धि करती है 👇
चारों युग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ २९
अर्थ –चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है, जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से चौपाई से दुष्टों का नाश होता है 👇
साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे || ३०
अर्थ –हे श्री राम के दुलारे ! आप.सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से माता सीता के आशीर्वाद से मनोरथ पूर्ण करती है 👇
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता ॥ ३१
अर्थ -आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है। अष्ट सिद्धियों के नाम
1.) अणिमा → जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर.जाता है।
2.) महिमा → जिसमे योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
3.) गरिमा → जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
4.) लघिमा → जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
5.) प्राप्ति → जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
6.) प्राकाम्य → जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी मे समा सकता है, आकाश मे उड़ सकता है।
7.) ईशित्व → जिससे सब पर शासन का सामर्थय हो जाता है।
8.)वशित्व → जिससे दूसरो को वश मे किया जाता है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से मूल रहस्यों की प्राप्ति होती है 👇
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा ॥ ३२
अर्थ-आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से हनुमत कृपा से सभी दुखों का नाश करती है 👇
तुम्हरे भजन राम को भावै, जनम जनम के दुख बिसरावै ॥ ३३
अर्थ –आपका भजन करने से श्री राम.जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से बुढ़ापा और परलोक दोनो सुधारती है |👇
अन्त काल रघुवर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ॥ ३४
अर्थ –अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे |
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से अन्य किसी देव की आराधना करने की आवश्यकता नही होती है 👇
और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥ ३५
अर्थ -हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही पढ़ती है |
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से सभी प्रकार के कष्ट हरने मे समर्थ है 👇
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।। ३६
अर्थ-हे महावीर हनुमान जी ! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से गुरु स्वरूप मे आपकी मदद मिलती है |👇
जय जय जय हनुमान गोसाँईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाई ॥ ३७
अर्थ– हे हनुमान जी ! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से जातक बंधन से छुटकारा पाता है 👇
जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंदि महा सुख होई ॥ ३८
अर्थ – जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से शिव पार्वती की कृपा होती है 👇
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ ३९
अर्थ -भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
हनुमान चालीसा के यह चोपाई के पाठ से निरंतर प्रभु कृपा दिलाती है 👇
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥ ४०
अर्थ –हे नाथ श्री हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम के दास है।इसलिए आप उसके हृदय मे निवास करते है |
हनुमान चालीसा की यह चौपाई पाठ करने से जीवन मे मंगलदायक और संकट हटते है 👇
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
अर्थ -हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिये।
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥
॥ चौपाई||
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||१
रामदूत अतुलित बल धामा, अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥ २
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी ॥ ३
कंचन वरन विराज सुवेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ ४
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै, काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥ ५
शंकर सुवन केसरीनन्दन, तेज प्रताप महा जग वंदन || ६
विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर || ७
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया || ८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा || ९
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र के काज संवारे || १०
लाय संजीवन लखन जियाये, श्रीरघुबीर हरषि लाये || ११
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई || १२
सहस बदन तुम्हरो यश गावें, अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं || १३
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा, नारद सारद सहित अहीसा ॥ १४
जम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते, कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥ १५
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राज-पद दीन्हा ॥ १६
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना, लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥ १७
जुग सहस्त्र योजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू || १८
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं,जलधि लांघि गये अचरज नाहीं || १९
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ २०
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ २१
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥ २२
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै ॥ २३
भूत पिसाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै ॥ २४
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा |। २५
संकट ते हनुमान छुड़ावै, मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥ २६
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा ॥ २७
और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥ २८
चारों युग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ २९
साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे || ३०
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता ॥ ३१
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा ॥ ३२
तुम्हरे भजन राम को भावै, जनम जनम के दुख बिसरावै ॥ ३३
अन्त काल रघुवर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ॥ ३४
और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥ ३५
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।। ३६
जय जय जय हनुमान गोसाँईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाई ॥ ३७
जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंदि महा सुख होई ॥ ३८
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ ३९
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥ ४०
॥ दोहा ॥
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥