लोहड़ी का उत्सव :-
लोहड़ी भारत में मनाए जाने वाले बहुत से त्योहार में लोहड़ी बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है| जो उत्तर भारत में मनाया जाता है| यह त्यौहार पंजाब और हरियाणा प्रांत में ज्यादातर मनाया जाता है| साथ ही उत्तर भारत के बहुत से और भी राज्य में यह मनाया जाता है | मकर संक्रांति के आसपास भारत में बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं जिनमें से एक और त्योहार लोहड़ी है | इसमें घरों के आवासीय परिसर में बाहर लकड़ी और गाय के गोबर से बनाएं अलाव को जलाकर उसकी परिक्रमा करी जाती है |लोग प्रार्थना करते हैं | इसमें और अपने बड़े लोगों का आशीर्वाद भी इसमें लिया जाता है| इसमें पूजा अनुष्ठान के हिस्से के रूप में तिल गुड़ मूंगफली गजक भी चढ़ाए जाते हैं| और बहुत सी मिठाइयों का भी वितरण किया जाता है| लोहड़ी के त्यौहार में लोकप्रिय नृत्य गिद्दा का प्रदर्शन करके त्यौहार मनाया जाता है |जबकि कुछ लोग भांगड़ा भी करते हैं| और ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं |फसल के मौसम की शुरुआत और सर्दियों की फसलों की पकने का प्रतीक माना जाता है|
2024 मैं लोहड़ी कब है?
आपको बता दे कि यहां त्यौहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है जिसमें तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि 13 या 14 जनवरी को यहां किस दिन मनाया जाए | अतः हम आपको बताते हैं | कि द्रिक पंचांग के अनुसार इस साल लोहड़ी रविवार यानी 14 जनवरी 2024 को और मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी |
लोहड़ी का त्यौहार कहां मनाया जाता है? :-
– लोहड़ी का त्योहार भारत देश में पंजाब हरियाणा तथा दिल्ली में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है |यह त्यौहार पंजाब में बहुत हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है |
लोहड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? ;
बैसाखी त्योहार की तरह लोहड़ी का संबंध भी पंजाब हरियाणा के मौसमी फसल की शुरुआत को देखते हुए और साथ ही गर्मी की शुरुआत के चलते यह त्यौहार मनाया जाता है | फसल के मौसम की शुरुआत और सर्दियों की फसलों की पकने का प्रतीक माना जाता है|
लोहड़ी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
:- मकर संक्रांति के आसपास भारत में बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं जिनमें से एक और त्योहार लोहड़ी है | इसमें घरों के आवासीय परिसर में बाहर लकड़ी और गाय के गोबर से बनाएं अलाव को जलाकर उसकी परिक्रमा करी जाती है |लोग प्रार्थना करते हैं | इसमें और अपने बड़े लोगों का आशीर्वाद भी इसमें लिया जाता है| इसमें पूजा अनुष्ठान के हिस्से के रूप में तिल गुड़ मूंगफली गजक भी चढ़ाए जाते हैं| और बहुत सी मिठाइयों का भी वितरण किया जाता है| लोहड़ी के त्यौहार में लोकप्रिय नृत्य गिद्दा का प्रदर्शन करके त्यौहार मनाया जाता है |जबकि कुछ लोग भांगड़ा भी करते हैं| और ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं |फसल के मौसम की शुरुआत और सर्दियों की फसलों की पकने का प्रतीक माना जाता है|
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लोहड़ी का महत्त्व :-
लोहड़ी अग्नि देवता से प्रार्थना करने और परिजनों से आशीर्वाद मांगने का समय माना जाता है | जिसे लाल लोई या लोहड़ी के नाम से भी जाना जाता है| यह त्यौहार गर्मी के आगमन का भी समय माना जाता है | माना जाता है कि इस लोहड़ी त्योहार के बाद दिन प्रतिदिन तिल-तिल करके बढ़ता है | और बड़े दिन की शुरुआत होती है| छोटे दिन कि शुरुआत हो जाती है |
लोहड़ी का अर्थ :-
तिलोदी के नाम से लोहड़ी को पहले जाना जाता था | यह शब्द तिल तथा रोड़ी गुड़ की रोटी शब्द से मिलकर बना है | जो समय के साथ बदलकर लोहड़ी के रूप में माना जाने लगा मकर संक्रांति के दिन भी तिल और गुड़ बांटने का प्रावधान है इसको पंजाब और हरियाणा में लाल लोही या लोई भी कहा जाता है
पौराणिक मान्यता:–
पुरानी मान्यता के अनुसार जब राजा दक्ष की पुत्री और शिव जी कि पत्नी सती यज्ञ में कूद कर आत्मदाह कर लिया था | उसी की याद में यह त्यौहार मनाया जाता है| जिसे त्याग का प्रतीक भी माना जाता है| शिवजी ने सती की आत्मदाह के बाद राजा दक्ष का सर धड़ से अलग कर दिया था |
एक और कहानी है संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यहां मनाई जाती है ये भी है निशानी की सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचकर एक दुल्ला भट्टी नाम के लड़के ने किसी अच्छे लड़के से अपनी करवा दी थी शादी |
लोहड़ी का आधुनिक रूप :-
वैसे तो लोहड़ी का त्योहार देश-विदेश सब जगह मनाया जाता है इसके चलते लोहड़ी के त्यौहार में पहनावे और पवन की आध्यता में बदलाव हो गया है और आज के टाइम आधुनिक महीना और पकवान किए जाते हैं लोग भी इस उत्सव में काम भाग लेते हैं और साथी आधुनिकता के चलते इसमें बहुत सारे बदलाव हो चुके हैं |
ईरान में यह उत्सव कहाँ मनाया जाता है?:-
ईरान में भी इसी तरह मनाया जाता है नव वर्ष का त्योहार;- बता दें कि ईरान में भी आपको इसी तरह का नव वर्ष का त्योहार मनाया जाता है | मसलन, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और देश के कई राज्यों में जैसे कि कीहदी का त्योहार इसी तरह मनाया जाता है, ईरान में भी इसी तरह मनाया जाता है। उत्सव मनाये जाते हैं | ईरान नव वर्ष उत्सव उत्सव कहा जाता है |
किस विधि से करे पूजा
- इस दिन अग्नि देव के साथ साथ आदि शक्ति, श्री कृष्णा की पूजा विशेष रूप से करने का विधान है
- इन देवी देवताओं के चित्र को अपने घर के पश्चिम दिशा मे स्थापित करना चाहिए
- शुभ परिणाम के लिए सरसो के तेल का दीप जलाना चाहिए
- विशेष रूप से माँ आदि शक्ति को सिंदूर अर्पण किया जाना चाहिए
- भोग मे रेवड़ी औऱ तिल के लड्डू अर्पित किया जाता है
- लोहाड़ी की अग्नि मे मक्का, तिल औऱ मूंगफली अर्पित करना चाहिए
- सूखा नारियल औऱ कपूर भी लोहड़ी की अग्नि मे समर्पित करने का विधान है
- सबसे आखिर मे लोहाड़ी की 5 से 7 परिक्रमा कर अपने बड़े बूड़ो का आशीर्वाद लेना चाहिए औऱ तिल के लड्डूओ के साथ मुँह मीठा करना चाहिए