27यूरोपीय देशो के जल स्त्रोतो का हुआ डाटा विश्लेषण बताया खेती का जल गुणवत्ता पर प्रभाव :वाटर रिसर्च जनरल

रिसर्च जनरल में प्रकाशित हुए एक शोध के अनुसार डुइसबर्ग-एसेन विश्वविद्यालय के किए गए डेटा विश्लेषण के आधार पर यूरोपीय देशों में सघन खेती का भूमिगत जलस्तर और जल की गुणवत्ता पर प्रभाव का विस्तृत अध्ययन किया गया विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण मिट्टी भूजल और जैव विविधता पर खेती में उपयोग किए गए रसायनों का विस्तृत प्रभाव का अध्ययन करना थाजल स्त्रोतो का हुआ डाटा विश्लेषण बताया खेती का जल गुणवत्ता पर प्रभाव क्या है यह जाने नए अध्ययन मे

भूजल जल स्रोतों के साथ यूरोप की बड़ी नदियों जैसे राइन रु हर आदि जल गुणवत्ता पर खेती के प्रकार और तरीके विस्तृत अध्ययन किया इस डेटा विश्लेषण का प्रकाशन वाटर रिसर्च जनरल मे किया गया है

अध्ययन के परिणाम चौंकाने वाले हैं जिसके अनुसार यूरोप की 10% नदियां अपनी अच्छी प्राकृतिक अवस्था में नहीं है नदियों की स्थिति के लिए यूरोप में होने वाली खेती को आंशिक रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है

यूडीई वैज्ञानिक क्रिश्चियन शूरिंग्स के शोध दल ने 27 यूरोपीय देशों के कृषि भूमि उपयोग के आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन किया इसका मुख्य विषय बहते हुए सतही जल की गुणवत्ता औऱ खेती के तरीको का अध्यन करना था क्रिश्चियन शूरिंग्स जो जलीय पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित लेखक ने कहा कि जली पारिस्थितिक तंत्र और पर्यावरण पर सघन खेती का विशेष प्रभाव पड़ता है, उन्होंने कहा कि सिंचित और सघन खेती जल स्रोत की गुणवत्ता को अधिक प्रभावित करती है ताकि अधिकतर यूरोपीय देशों में प्रचलित है बहुत अधिक मात्रा में कीटनाशक को और उर्वरकों का गहन उपयोग प्राकृतिक धाराओं के पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट कर सकते हैं इसका परिणाम यह होता है कि पौधों और जानवरों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाते हैं इसका समाधान सुझाते हुए उन्होंने कहा कि यदि काम संघा और जैविक खेती को अपनाया जाए तो नदियों की जल गुणवत्ता और जैव विविधता को पुनः बचाया जा सकता है

सह-लेखक डॉ. सेबेस्टियन बिर्क इस बात को इस बात को रेखांकित करते हुए कहते हैं कि जल संरक्षण और कृषि एक साथ चल सकते हैं यूरोपीय संघ को इस काम को बढ़ावा देने के लिए सभी जरूरी बदलाव करने चाहिए जैविक खेती को प्रोत्साहित करके कीटनाशक और कीटनाशको के काम से कम इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना चाहिए

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