संक्षिप्त
मेष लग्न मे ग्रहो के फल औऱ ग्रहयोग की बात करने से पहले नंबर पर मेष लग्न मे ग्रहो के फल औऱ गृहयोग का अध्ययन करना होता है जैसा की आप जानते है की मेष तारामंडल पर आधारित पहली राशि है व्यक्ति के जन्म के वास्तविक समय पर आकाश मण्डल मे जो राशि उदित होती है उसको उस व्यक्ति का लग्न कहते है
उदहारण के रूप मे यदि कीसी व्यक्ति के जन्म के समय मेष तारामण्डल उदित हुआ तो उस व्यक्ति विशेष का लग्न मेष लग्न कहलाएगा किसी लग्न को यदि आपको समजना है तो उसके पहले भाव मे लिखे अंक से समझना चाहिए यदि पहले भावमे एक (1)अंक लिखा हो तो उसे मेष लग्न की कुंडली कहते है
लग्न स्वामी= मंगल ग्रह
लिंग -पुरुष
जाति- क्षत्रिय
तत्व- अग्नि
इष्ट देव -शिव जी और हनुमान जी
अनुकूल रंग -लाल
राशि चक्र मे कुल अंशो मे (360°)पहले 30°को मेष राशि काहा जाता है इस राशि का चिन्ह “भेड़/मेंढा “है यह एक फिक्स पॉइंट (नियरण बिंदु -जहाँ से राशि चक्र शुरू होता है -भास्कर के अनुसार )से हर वर्ष लगभग 50 सेकंड खसक जाता है
मेष लग्न मे सूर्य का फल
।
मेष लग्न: प्रथम भाव मे सूर्य का फल
- जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त कर विद्वान होता है
- मानसिक रूप से मजबूत औऱ आत्म ज्ञान मे रूचि रखता है
- एक लम्बे कद वाला होगा
- पत्नी से सुख मे कुछ कमी, व्यापार के प्रति लापरवाही बरातने वाला स्वाभिमान वाला होगा
मेष लग्न: दूसरे भाव मे सूर्य का फल
- जातक को शिक्षा प्राप्त करने मे परेशानी का सामना करना पड़ता है
- नियमित काम करने से अच्छा लाभ कमा सकता है
- मानसिक चिंता से दुख पता है
- बच्चो से परेशानी मिलती है
- बहुत मेहनत के बाद भी कमजोर आर्थिक स्तिथि वाला होगा
मेष लग्न :तीसरे भाव मे सूर्य का फल
- एक अच्छी शिक्षा,बुद्धि, संतान से सुख पाने वाला होता है
- वाणी मे अच्छा प्रभाव रखने वाला होगा
- कड़ी मेहनत करता है
- ईश्वर मे आस्था रखने वाला बहुत साहसी औऱ बहादुरी से अपना पक्ष रखने वाला स्वाभिमानी होता है
मेष लग्न: चौथे भाव मे सूर्य का फल
- जातक उत्तम शिक्षा प्राप्त करता है
- संतान की शक्ति माता से अच्छे गुणों प्राप्त करता है
- मधुर वाणी का मालिक होगा
- अच्छी भूमि औऱ पैतृक सम्पति प्राप्त करने वाला होता है
- सरकार औऱ समाज के प्रति गुस्से का भाव रखता है
- बुद्धिमान होगा
मेष लग्न: पांचवे भाव मे सूर्य का फल
- जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है
- अच्छा बोलने वाला बुद्धिमान दूरदर्शा होता है
- आय मे कमी होंगी
- दूसरों से श्रेष्ठ महसूस करने वाला होता है।
मेष लग्न: छटवे भाव मे सूर्य का फल
- शिक्षा मे कमी मानसिक रूप से चिंता ग्रस्त होगा
- शत्रुओ पर विजय प्राप्त करता है
- दुसरो को मार्गदर्शन करने वाला होता है
- बौद्धिक रूप से मेहनत कर लाभ कमाता है
- अधिक खर्च करने वाला होता है
मेष लग्न: सातवें मे सूर्य का फल
- जातक पत्नी औऱ बच्चों से सुख प्राप्त नहीं करता है
- पारिवारिक जीवन से परेशान होता है
- अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए कड़ी मेहनत करता है
- धन कमाने के गलत औऱ सही दोनों तरीको को इस्तेमाल कर सकता है
- यौन सुख से वंचित रह सकता है
- रहस्यमई मामलों को समझने वाला होगा
मेष लग्न: आठवे भाव मे सूर्य का फल
- जातक संतान के करण कष्ट पाता है
- शिक्षा मे कष्ट, दिमागी तोर पर परेशानी झेलना पड़ सकता है
- दुसरो के सहारे से जीवन अच्छा पैसा कमाता है
- स्वाभाव मे कुटिल, कठोर वाणी काम मे जल्दबाजी करने वाला होगा
मेष लग्न :नवमे भाव मे सूर्य का फल
- अपनी बुद्धि से अपना भाग्य बनाने मे विश्वास रखता है
- पुत्रो, भाई, बहनो से सुख पाने वाला औऱ धार्मिक प्रवर्ती वाला होगा
- प्रभावशाली व्यक्तित्व, ऊर्जावान, अच्छा पैसा कमाने वाला होता है
- निष्पक्ष औऱ न्याय की बात करने वाला प्रिय वादी होता है
मेष लग्न: दसवे भाव मे सूर्य का फल
- आचरण से बचकानी हरकत करने वाला होता है
- पिता से बैर भाव रखने वाला होता है
- व्यवसाय की उन्नति मे बाधा आती है
- माता का आदर करने मे माहिर होता है
- अच्छी जमीन जायदद का मालिक होता है
- स्वाभाव मे शालीनता की कमी रहती है
- समाज औऱ सरकारी मामलों मे विरोधी हो सकता है
मेष लग्न :ग्यारहवे भाव मे सूर्य का फल
- जातक शिक्षा प्राप्त करने में उदासीनता महसूस करता है
- बच्चों से खुश नहीं रहता है
- बौद्धिक, शोध कार्यों मे रूचि रहती है
- जातक स्वार्थी औऱ कठोर वाणी लिए होता है
- जीवन औऱ कार्य क्षेत्र के लिए बड़ा सोचने वाला होता है
मेष लग्न:बारहवे भाव मे सूर्य का फल
- गोलमोल बाते करने वाला औऱ अधिक खर्च करता है
- बच्चों से परेशानी रहती है औऱ आँखे कमजोर रहती है
- जातक को अच्छी शिक्षा का अभाव रहता है
- बाहरी लोगो से अच्छा सम्पर्क औऱ तालमेल बनाए रखता है
- शत्रुओ से पीडत औऱ मानसिक रूप से परेशान रह सकता है
खर्च पर नियंत्रण रखने का प्रयास करता रहता है
मेष लग्न मे चन्द्रमा फल
प्रथम भाव मे चन्द्रमा का फल
- जीवन के सारे सुख मिल जाते है
- माता से अच्छा प्यार मिलता है
- विलासिता मे पूरा आंनद मिलता है
- व्यवसाय मे सफलता मिलती है
- पत्नी से पूरा सुख मिलता है
- अच्छे सहायक होने से जीवन मे अच्छी प्रगति होती है
- मन अनुसार जीवन का आनंद ले कर जीता है
दूसरे भाव मे चन्द्रमा का फल
- जातक सारे सुख भोगता है घर धन सम्पति मिलता है
- एक अच्छे बड़े परिवार मे रहता है
- मानसिक रूप से ख़ुश रहता है
- दैनिक दिनचर्या में परेशानी होती है, दूसरों से मदद मिलती है।
तीसरे मे चन्द्रमा का फल
- जातक को भाई बहनो से अच्छा सुख मिलता है
- माता से अच्छा सहयोग मिलता है
- धर्म का पालन करता है ईश्वर मे अच्छी आस्था रखता है
- जमीन ज्यादाद का मालिक होता है
- घर के सदस्य सहयोगी होते है
चौथे भाव मे चन्द्रमा का फल
- जातक को माता की तरफ से अच्छा प्यार मिलता है
- माता की औऱ से जमीन ज्यादाद का लाभ मिल जाता है
- निश्चिन्त औऱ मानसिक रूप से खुश रहता है
- माता पिता का अच्छा सम्मान करता है
- सरकारी औऱ सामाजिक कामों मे रूचि रहती है
- अच्छा सुख भोगता है विलासिता का भाव रहता है
पांचवे भाव मे चन्द्रमा का फल
- संतान से अच्छा धन औऱ सुख पाता है
- जातक देखने से बुद्धिमान प्रतीत होता है
- दुसरो का भला करता है चोट नहीं पंहुचा सकता है
- गहरी सोच रखने वाला औऱ माँ के प्रति समर्पण का भाव प्रबल होता है
- अच्छा वक्ता होता है
छटवे भाव मे चन्द्रमा का फल
- सुख प्राप्त करने मे बाधा का सामना करना पड़ता है
- माता से प्यार मे कमी रहती है
- परिवार से सुखको तरस जाता है
- भय के करण मानसिक चिंता मे रह्या करता है
- अधिक खर्च करता है नाना पक्ष से मदद मिल जाती है
सातवें भाव मे चन्द्रमा का फल
- जातक परिवार से सुख का आनंद लेता है
- शारीरिक शारीरिक रूप हष्ट पुष्ट औऱ सुन्दर होता है
- सुंदर पत्नी पाता है
- अच्छा यौन सुख भोगता है
- परिवार औऱ सामाजिक सम्बन्ध को निभाने मे माहिर होता है
आठवे भाव मे चन्द्रमा का फल
- जातक माँ से अप्रशन्न औऱ माता को खो देने वाला होता है
- जातक शांति से नहीं रहता है औऱ पेट से जुड़े रोग से पीड़ित होता है
- धन का संचय नहीं कर पाता दुर्घटना से पीड़ित हो सकता है
- जातक मल डरिद्राता औऱ क्लेश से परेशान रहता है
- छोटी मानसिकता वाला होता है
नौवे भाव मे चन्द्रमा का फल
- जातक माता से धन औऱ सौभाग्य प्राप्त करता है
- भूमि औऱ भवन का मालिक होता है
- देव शक्ति की मदद मिलती है
- सुखी औऱ संतुष्ट रहता है
- धर्म पर विश्वास रखता है
- भाई बहनो से सहयता मिलती है
दसवे भाव मे चन्द्रमा का फल
- जातक को पिता से स्नेह मिलता है,
- पिता की औऱ से ज़मीन-जायदाद मिलती है
- सरकार और समाज से मदद मिलती है
- एक सफल व्यापारी होता है
- पहनने ओढ़ने का शौकीन होता है
ग्यारहवे भाव मे चन्द्रमा का फल
- जातक की आमदनी अच्छी रहती है
- कठिनाइयों के साथ सुख मिलता है
- संतान का सुख मिलता है
- शिक्षा दीक्षा अच्छी होती है
- मृदुभाषी होता है
12वे भाव मे चन्द्रमा का फल
- जातक मौज मस्ती मे धन खर्च करने वाला होगा
- अच्छे कार्यों के लिए खर्च करता है
- जमीन ज्यादाद की कमी रहती है
- योजना बनाने मे माहिर होता है
मेष लग्न मे मंगल का फल
प्रथम भाव मे मंगल का फल
- जातक प्रसिद्ध और शारीरिक महानता प्राप्त करता है
- आध्यात्मिक सुख शक्तियां प्राप्त करता है
- जातक मन ही मन बेचैन रहता है
- माता से विशेष उत्साहवर्धन नहीं मिलता
- पत्नी और पारिवारिक सुख से वंचित रहता है
दूसरे मे मंगल का फल
- जातक हमेशा प्रयास पूर्वक धन कमाने में लगा रहता है
- पैसा कमाने के बाद धन संचय नहीं हो पता
- अवैध तरीके से सुख का आनंद लेता है
- अपनी वाणी के कारण बधाएं उत्पन्न करता है
- धर्म में आस्था नहीं रखने वाला होता है
तीसरे भाव मे मंगल का फल
- जातक ऊर्जावान भाइयों से दुखी समाज में अपनी अच्छी प्रतिष्ठा रखने वाला होता है
- अपनी योग्यताओं को बढ़ाने के लिए काम करने वाला व्यापार के लिए प्रयास करता है
- प्रयास करने पर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है
- पिता के माध्यम से सुख प्राप्त करता है
चौथे भाव मे मंगल का फल
- जातक की कद काठी छोटी होती है
- माता का प्यार को देता है
- मानसिक चिंता के कारण बेचैन रहता है
- भूमि का नुकसान करता है पत्नी से खुश नहीं रहता
- किसी भी काम के लिए कड़ी मेहनत करने वाला होता है
पांचवे भाव मे मंगल का फल
- जातक बुद्धिमान होता है
- जीवन के किसी भी काम में जल्दबाजी करने वाला होता है
- संतान पक्ष से खुश नहीं होता
- अधिक खर्च करने वाला और महत्वाकांक्षी होता है
छटवे भाव मे मंगल का फल
- जातक प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी उद्योग के कारण प्रसिद्धि पाने वाला होता है
- सही दिशा में प्रयास करने पर शत्रुओं पर विजय पाने वाला होता है
- शरीर रोग से ग्रस्त और परेशानी महसूस करता है
- आत्मविश्वास का धनी होता है
- धर्म के प्रति आस्था न रखने वाला अधिक धन खर्च करने वाला और बहादुर होता है
- स्वार्थी और गुप्त शक्तियों का मालिक होता है
सातवें भाव मे मंगल का फल
- जातक को कर्तव्यों के पालन में विशेष कठिनाई का सामना करना पड़ता है
- वैवाहिक जीवन में अनबन बानी रहती है
- व्यवसाय की बढ़ोतरी के लिए काम करता है
- सरकारी सम्मान प्राप्त करने वाला होता है
- अच्छे से प्रयास करने के बाद भी संपत्ति में कोई सुधार नहीं होता
- वैवाहिक जीवन के सुख का आनंद नहीं लेता
आठवे भाव मे मंगल का फल
- जातक शारीरिक रूप से दुबला पतला और मानसिक बेचैनी महसूस करने वाला होता है
- भाई बहन के साथ रिश्ते खराब हो जाते हैं
- समय के पहले बुढ़ापा आ जाता है
- अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला होता है
नवम भाव मे मंगल का फल
- जातक भाग्यशाली होता है परंतु उन्नति में रिकॉर्ड रुकावटें आती है
- रिश्तेदारी और सगे संबंधी में अच्छा सहयोग प्राप्त करने वाला होता है
- माता के प्रति संबंधों से खुश नहीं रहता अधिक खर्च करने वाला होता है
- भूमि शांति और खुशी के प्रति लापरवाह दिखावटी स्वभाव को पसंद करने वाला होता है
दसवे मे मंगल का फल
- जातक की शारीरिक शक्ति बहुत अच्छी होती है
- जीवन में दिनचर्या के साथ-साथ सर्वोच्च सम्मान प्राप्त होता है
- स्वाभिमानी होता है सरकार और समाज से सम्मान प्राप्त करता है
- शिक्षा और बुद्धि से अच्छा परंतु कर्तव्य परायण नहीं होता
- स्वतंत्र विचारधारा का मालिक होता है और अपना कार्य करने में विश्वास रखता है
ग्यारहवे भाव मे मंगल का फल
- जातक कड़ी मेहनत करता है और लाभ प्राप्त करता है
- परिवार के संबंध में नुकसान से चिंता ग्रस्त रहता है
- दुश्मनों पर आसानी से विजय प्राप्त करता है
- ज्ञान और बुद्धि द्वारा रहस्यमई शक्तियों का उपयोग करता है
12 वे भाव मे मंगल का फल
- जातक मानसिक बेचैनी महसूस करता है
- जातक अधिक खर्च करने वाला और संबंधों से खुश नहीं होता
- जातक शारीरिक रूप से कमजोर होता है
- घरेलू कामों से नाखुश होता है
- यह भी काम को करने में बड़ी कठिनाई आती है
मेष लग्न मे बुध का फल
प्रथम भाव मे बुध का फल
- जातक भाई बहन से मिलनसार होते हैं नाना के पक्ष से सहायता मिलती है
- विवाद और बढ़ाओ से आसानी से पर का सकता है
- अपना काम चतुराई से पूरा कर लेते हैं
- परिवार से सहयोग मिलता है
- योजना के साथ काम करने पर स्थिति में सुधार हो सकता है
दूसरे भाव मे बुध का फल
- अपने जीवन में अच्छा धन कमाता है बुद्धिमान होता है
- घर के साथ अच्छा संबंध रखता है भाई बहनों से अच्छा सहयोग नहीं मिलता
- महत्वाकांक्षी होता है और अधिक से अधिक कमाना चाहता है
तीसरे भाव मे बुध का फल
- जातक अपनी बुद्धि पर भरोसा करने वाला बुद्धिमान पूर्णता वादी होता है
- भाई बहनों से अच्छा सहयोग नहीं मिलता
- अत्यधिक मेहनत करने के बाद धन मिलजातक ता है
- अपनी युक्ति द्वारा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है
चौथे भाव मे बुध का फल
- तक भाइयों बहनों के करण समस्याओं का सामना करने वाला होता है
- जातक ऊर्जावान होता है
- नाना के पक्ष से सहयोग प्राप्त करता है और मां को नापसंद होता है
- अच्छा व्यवहार स्थापित करने वाला राज्य और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाला होता है
- चिंता से ग्रस्त और बेचैन रहता है
पांचवे भाव मे बुध का फल
- जातक बहुत सावधान एवं विवेकवान होता है
- चतुर एवं संतान पक्ष से प्रसन्न होता है
- आसानी से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है
- अच्छा धन संचय करने वाला होता है
छटवे भाव मे बुध का फल
- जातक प्रभावशाली एवं भाइयों से दुश्मनी रखने वाला होता है
- दुश्मन पर आसानी से विजय पाने वाला प्रतिष्ठित व्यय प्रति लापरवाह होता है
- बुद्धि और युक्ति के कारण प्रसिद्ध होता है
- बहुत प्रतिष्ठित मेहनती और साहसी होता है
सातवें भाव मे बुध का फल
- जीवन मैं कुछ भी पानी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है
- व्यापार में परेशानी होती है फिर भी व्यापार से ही उन्नति करता है
- जीवन का आनंद लेता है और पत्नी से ज्यादा खुश नहीं होता है
- घरेलू और सांसारिक मामलों में ताल मेल बैठाता है
- नाना की ओर से अच्छा सहयोग मिलता है
आठवे भाव मे बुध का फल
- जातक के धन आगमन में कमजोरी नाना से कष्ट भाई बहनों से अधिक खुश नहीं रहता है
- काम निकालने में माहिर गुप्त शक्तियों में विश्वास रखने वाला होता है
- पेट के रोग से पीड़ित पैसा प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने वाला
- साहस से परिपूर्ण और शत्रुओं का सामना करने वाला होता है
नौवे भाव मे बुध का फल
- जातक उद्योग धंधों से सफलता प्राप्त करने वाला होता है
- धर्म में विश्वास नहीं होता है
- अपनी भलाई के लिए गलत सही का विचार नहीं करता
- रिश्तेदारों और भाई बहनों से अच्छी सहायता मिलती है
दसवे भाव मे बुध का फल
- उद्योग धंधों में प्रगति करने वाले जातक होते हैं
- भाई बहनों से सहायता मिलती है पिता भी सहायक होते हैं
- लगन और परिश्रम के कारण की प्रसिद्धि मिलती है
- समाज में प्रतिष्ठित होता है संगठन की शक्ति को समझता है
11 वे भाव मे बुध का फल
- जातक को भाई बहनों से लाभ प्राप्त होता है
- पैसा कमाने और अधिक आय के लिए बड़ी मेहनत करना होती है
- शिक्षा और ज्ञानवर्धन से लाभ प्राप्त करने वाला चतुर होता है
- सभी के प्रति सहयोग की भावना प्रबल होती है
12वे भाव मे बुध का फल
- मेष लग्न में 12वीं भाव का बुद्ध भाई बहन से प्यार में कमी देता है
- बढ़ते हुए खर्चे से चिंतित और कंजूस होता है
- शत्रुओं से सहायता और गुप्त शक्तियों में विश्वास रखता है
- बहुत से क्षेत्र में हानी का सामना करना पड़ता है
मेष लग्न मे गुरु का फल
प्रथम भाव मे गुरु का फल
- प्रथम भाव में गुरु पर जातक सुंदर भाग्यशाली सही तरीके से खर्च करने वाला होता है
- अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखने वाला होता है
- धार्मिक अच्छी तरह से शिक्षित और बाल बच्चे वाला होता है
- व्यापार में सफल अच्छा धन संचय करने वाला दयालु होता है
दूसरे भाव मे गुरु का फल
भाग्यशाली, अच्छा धन कमाने वाला, दैवीय सहायता, संचित धन में थोड़ी हानि, व्यय पर नियंत्रण, कभी-कभी अधिक खर्च करने वाला, धार्मिक दृष्टिकोण वाला, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, दैनिक दिनचर्या से प्रसन्न रहने वाला
तीसरे भाव मे गुरु का फल
भाग्यशाली, खर्च पर नियंत्रण रखने वाला, भाई-बहनों की मदद करने वाला, कड़ी मेहनत करने वाला, व्यवसाय में सफल, पारिवारिक सुख भोगने वाला होता है
चौथे भाव मे गुरु का फल
मकान और लाभ से सुखी, सौभाग्यशाली, दिखावटी और धार्मिक, माता की ओर से सुख प्राप्त करने वाला, पिता से कोई सुख न पाने वाला और भाग्यशाली होता है।
पांचवे भाव मे गुरु का फल
भाग्यशाली, बुद्धिमान, अच्छी शिक्षा पाने वाला, धर्मशास्त्र पर अधिकार रखने वाला, अच्छा वक्ता, बच्चों से सुख पाने वाला, सम्मान पाने वाला होता है।
छटवे भाव मे गुरु का फल
बहुत भाग्यशाली नहीं, अधर्मी, प्रसिद्धि को खोने वाला, खर्चों का प्रबंधन करने वाला, बड़े विवादों को सहन करने वाला और जीतने वाला, कर्तव्यपरायण पुत्र नहीं, सरकार और समाज से शत्रुता रखने वाला, शत्रुओं को वश में करने में चतुर, बुद्धि से काम लेने वाला और चतुर होता है।
सातवें भाव मे गुरु का फल
दैनिक जीवन में सफल, घरेलू जीवन में खुशहाली, प्रतिष्ठित पत्नी मिलती है, नम्रता से जीवन व्यतीत करता है, भगवान में विश्वास रखता है और सफल होता है, ऊर्जावान ढंग से काम करता है, दृष्टिकोण धार्मिक होता है।
आठवे भाव मे गुरु का फल
भाग्यहीन एवं अधार्मिक, दीर्घायु, भाग्य से अप्रियता वाला होता है
नवे भाव मे गुरु का फल
भाग्यशाली और अपने कार्यों में अच्छी सफलता प्राप्त करता है, दैवीय सहायता प्राप्त करता है, अच्छी बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करता है, बच्चों से खुश रहता है, भाइयों और बहनों का सहयोग प्राप्त करता है, धार्मिक दृष्टिकोण रखता है
दसवे भाव मे गुरु का फल
व्यवसाय में सफल होता है लेकिन समाज और सरकार में विशेष महत्व नहीं मिलता, सम्मानजनक खर्च होता है, शांति और खुशी मिलती है, दैवीय सहायता मिलती है
ग्यारहवे भाव मे गुरु का फल
भाग्य की सहायता से लाभ मिलता है, कार्यों में सहायता मिलती है, भाई-बहनों से सहयोग मिलता है, व्यवसाय में सफलता मिलती है, यौन सुख का आनंद मिलता है, शिक्षा और भाषण में सफलता मिलती है।
बारहवे भाव मे गुरु का फल
धार्मिक दृष्टिकोण वाला, लेकिन बहुत भाग्यशाली नहीं, अधिक खर्च करता है लेकिन साथ ही खर्च पर नियंत्रण रखता है, कुछ हानि, धार्मिक कार्यों पर खर्च करता है, प्रतिष्ठित, शत्रुओं से सावधान रहता है।
मेष लग्न मे शुक्र का फल
प्रथम भाव मे शुक्र का फल
अच्छा पेशा है, धन कमाता है, सुंदर पत्नी रखता है और अच्छे यौन सुख का आनंद लेता है, कलात्मक और चतुर है, अच्छा परिवार है, सांसारिक मामलों में बहुत सक्षम और सफल है, घरेलू जीवन का आनंद लेता है, कुशल और सम्माननीय है।
दूसरे भाव मे शुक्र का फल
अच्छा धन पाता है, बड़ा परिवार रखता है, विभिन्न व्यवसाय अपनाता है, अच्छा धन संचय करता है, पत्नी से खुश रहता है और यौन सुख भोगता है, मान-सम्मान पाता है।
तीसरे भाव मे शुक्र का फल
अपनी चतुराई से बहुत धन कमाता है, अच्छे पद पर आसीन होता है, कई मददगार भाई-बहन होते हैं, प्रभावशाली और सुंदर पत्नी होती है, धार्मिक होता है, अच्छे यौन सुखों का आनंद लेता है, कर्तव्य और धर्म के बारे में सावधान रहता है, अपनी स्थिति सुधारने के लिए विभिन्न प्रयास करता है, ऐसा व्यक्ति होता है प्रतिष्ठित और प्रभावशाली एवं सुंदर होता है, घरेलू और सांसारिक मामलों का आनंद लेता है
चौथे भाव मे शुक्र का फल
सुखी और धनवान, अच्छी पत्नी पाने वाला, माता का स्नेह पाने वाला, अच्छे पद पर आसीन, सरकार और समाज में सम्मान पाने वाला, पिता मददगार, सांसारिक सुखों का आनंद लेने वाला और व्यवहार में चतुर होता है।
पांचवे भाव मे शुक्र का फल
अच्छा व्यवसाय करता है, धन कमाता है, परिवार और पत्नी से अधिक सुख नहीं मिलता, कामुक विचारों में लिप्त रहता है, मानसिक रूप से चिंतित रहता है, बच्चों से थका हुआ है, अच्छा बातचीत करने वाला और शिक्षित है।
छटवे भाव मे शुक्र का फल
धन की चिंता, परिवार की हानि, पत्नी से नाखुश, यौन रूप से नाखुश, कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, दादा की ओर से खुश नहीं, अधिक खर्च करता है, अपना काम विनम्रता से करता है, अपनी नीतियों में गुप्त रहता है और बीमार रहता है। स्वास्थ्य, उधार लेने और खर्च करने का व्यवसाय करता है
सातवें भाव मे शुक्र का फल
बहुत धन कमाता है और अच्छे पद पर आसीन होता है, सुंदर पत्नी और धनी ससुर पाता है, अच्छे पारिवारिक बंधन वाला होता है, यौन सुख का भरपूर आनंद लेता है, कमाई में चतुर, बहुत सम्मानित और सम्मानित, दिखने में सुंदर होता है
आठवे भाव मे शुक्र का फल
स्वास्थ्य में कमज़ोर और धन खो देता है, विदेशी सहयोग से सफलता प्राप्त करता है, पत्नी और परिवार से नाखुश, यौन सुख में कमी, गुप्त रूप से भावुक।
नवमे भाव मे शुक्र का फल
बहुत भाग्यशाली और चतुर, पत्नी और परिवार से सुख पाने वाला, धन कमाने वाला, धर्म का पालन करने वाला, बहादुर और साहसी होता है
दसवे भाव मे शुक्र का फल
पिता से लाभ, माता के घर एवं जमीन जायदाद का सुख प्राप्त करने वाला, अत्यंत धनवान, प्रसिद्ध एवं बुद्धिमान होता है
ग्यारहवे भाव मे शुक्र का फल
बहुत धन कमाता है और पेशेवर रूप से एक अच्छे पद पर आसीन होता है, पत्नी से लाभ प्राप्त करता है, अच्छे यौन संबंधों का आनंद लेता है, बच्चों और शिक्षा के संबंध में थोड़ा नाखुश रहता है।
बारहवे भाव मे शुक्र का फल
बहुत अधिक खर्च करता है और धन, परिवार और रिश्तेदारों को खो देता है, पत्नी से नाखुश होता है, व्यवसाय में सुधार करता है, यौन सुख के लिए बहुत अधिक खर्च करता है, दुश्मनों से डरता है, झगड़ालू होता है और नाना से नाखुश होता है।
मेष लग्न मे शनि का फल
प्रथम भाव मे शनि का फल
दिखने में आकर्षक नहीं, पिता से सुख नहीं, आश्रित, धन के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, बहुत मेहनती और ऊर्जावान, पत्नी को विशेष महत्व देने वाला और थोड़ा आलसी होता है।
दूसरे भाव मे शनि का फल
अच्छा कमाता है, सरकार और समाज से लाभ प्राप्त करता है, माँ से स्नेह नहीं मिलता, दैनिक जीवन में अशांति रहती है, धन बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करता है
तीसरे भाव मे शनि का फल
ऊर्जावान और वीर, भाई-बहनों से शिक्षा और सहायता पाने वाला, सरकार और समाज से सम्मान पाने वाला, अधिक खर्च करने वाला, बच्चों से नाखुश, धर्म के प्रति उदासीन और घमंडी होता है।
चौथे भाव मे शनि का फल
पिता से सुख, शासन एवं समाज से सहायता, माता से अधिक स्नेह नहीं, शत्रुओं से कष्ट, थोड़ा लापरवाह एवं अत्यधिक परिश्रम करना पड़ेगा।
पांचवे भाव मे शनि का फल
पिता से अधिक सुख नहीं, शिक्षा और बुद्धि से लाभ, व्यवसाय में प्रगति के लिए कड़ी मेहनत, यौन सुख पाने के लिए खुशी से काम करना, पत्नी को महत्व देना, सामाजिक गतिविधियों के लिए कड़ी मेहनत करना, बच्चों से खुश नहीं
छटवे भाव मे शनि का फल
पिता से खुश नहीं, जीवन की दिनचर्या से चिंतित, शत्रुओं से कोई परेशानी नहीं, कमाई में असुरक्षित महसूस, नियंत्रण से बाहर कारणों से भारी खर्च, भाई-बहनों से कुछ मदद
सातवें भाव मे शनि का फल
अच्छा व्यवसाय करता है, कमाई के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, बेचैनी महसूस करता है, यौन सुख भोगता है, घमंडी होता है
आठवे भाव मे शनि का फल
पिता को लेकर चिंतित, अकेला रहता है, विदेशी सहयोग से लाभ पाने के लिए कड़ी मेहनत करता है, बहुत हठ और योग्यता के साथ काम करता है, बौद्धिक रूप से चिंतित, बच्चों और शिक्षा से कोई सुख नहीं, अहंकारी
नौवे भाव मे शनि का फल
भाग्य भाव में भारी लाभ होता है, नियमित निश्चित आय मिलती है, भाग्यशाली, धार्मिक, कोई शत्रु नहीं, परेशानियों और बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है।
दसवे भाव मे शनि का फल
बड़ा व्यवसाय करता है, अच्छी आय रखता है, सरकार और समाज से सहायता प्राप्त करता है, खूब खर्च करता है, यौन सुख भोगता है, उन्नति के लिए परिश्रमी कार्य करता है और आत्म-गौरव रखता है।
ग्यारहवे भाव मे शनि का फल
पिता के द्वारा हानि, अनेक प्रकार से धन खर्च करना, धन बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम करना, धर्म का पालन-पोषण करने तथा शत्रुओं के घर पर प्रभाव बनाए रखने के लिए अनेक प्रकार के कर्म करना।
बारहवे भाव मे शनि का फल
पिता के द्वारा हानि, अनेक प्रकार से धन खर्च करना, धन बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम करना, धर्म का पालन-पोषण करने तथा शत्रुओं के घर पर प्रभाव बनाए रखने के लिए अनेक प्रकार के कर्म करना।
मेष लग्न मे राहु का फल
प्रथम भाव मे राहु का फल
बीमार महसूस करता है और बीमार चेहरा रखता है, साहसी, लोकप्रिय हो जाता है, अनधिकृत प्रयास करता है, गुप्त रहता है, विपत्तियों का बहादुरी से सामना करता है
दूसरे भाव मे राहु का फल
धन की हानि एवं परिवार से अलगाव, धन कमाने में चतुर, धन प्राप्ति के लिए गुप्त रूप से अनधिकृत प्रयास करने वाला, घरेलू समस्याओं एवं पारिवारिक कलह का सामना करने वाला, साहसी, बेचैनी महसूस करने वाला होता है।
तीसरे भाव मे राहु का फल
साहस रखता है और धन कमाने के लिए कड़ी मेहनत करता है, भाई-बहनों पर नियंत्रण रखता है, किसी भी प्रकार का डर नहीं रखता, दूसरों पर दबाव डालता है और प्रभावशाली होता है।
चौथे भाव मे राहु का फल
माँ को खो देता है, दुःखी और शांति खो देता है, संपत्ति और ज़मीन खो देता है, मानसिक तनाव सहता है, दूसरों को आश्चर्यचकित कर देता है
पांचवे भाव मे राहु का फल
अच्छी शिक्षा नहीं मिलती, बच्चों से दुखी, मानसिक रूप से चिंतित, चिड़चिड़े और कठोर वाणी वाला, दूसरों को नहीं समझ पाता
छटवे भाव मे राहु का फल
कमाई पर काबू पाने वाला, सभी प्रकार की कठिनाइयों और परेशानियों पर हावी रहने वाला, स्वार्थी, नाना की ओर से बाधाओं का सामना करने वाला होता है।
सातवें भाव मे राहु का फल
पत्नी से परेशानी, बड़ी कठिनाई से घर चलाना, कठिनाइयों और समस्याओं से गुजरने के बाद व्यवसाय में सफलता, यौन असंतोष, सांसारिक मामलों से अनधिकृत लाभ
आठवे भाव मे राहु का फल
दैनिक जीवन में चिंताएं, आजीविका में हानि, पेट में आंतरिक रोग, कड़वी नीति वाला व्यक्ति होता है
नौवे भाव मे राहु का फल
दुखी रहता है, भाग्य की प्रगति के संबंध में बड़ी चिंताओं और घबराहट का सामना करना पड़ता है, गुप्त रूप से कई अनुचित योजनाओं का उपयोग करता है, धर्म में भारी नुकसान उठाता है, अधर्मी, बदनाम और बेचैन रहता है।
दसवे भाव मे राहु का फल
पिता से खुश नहीं, उन्नति, व्यापार और व्यवसाय के रास्ते में रुकावटें आती हैं, अपना काम पूरा करने की गुप्त शक्ति होती है, बड़े प्रयासों के बाद सफलता मिलती है।
ग्यारहवे भाव मे राहु का फल
भारी लाभ प्राप्त करता है, आय और धन प्राप्त करता है, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गुप्त (कभी-कभी अनधिकृत) तरीके अपनाता है
बारहवे भाव मे राहु का फल
खर्च करने में नाखुश, बाहरी लोगों से दुश्मनी करने वाला, गंभीर कठिनाइयों का सामना करने पर भी कभी घबराता नहीं, अंततः खर्च पर नियंत्रण रखने में सफल हो जाता है।
मेष लग्न मे केतु का फल
प्रथम भाव मे केतु का फल
बेचैनी महसूस होती है और शरीर में कमजोरी है, कुछ घातक दर्द का अनुभव हो सकता है, अच्छा धैर्य रखता है, दूसरों के दबाव में नहीं आता, उतावला और जिद्दी है, आत्मविश्वास की कमी है
दूसरे भाव मे केतु का फल
धन की हानि होती है और धन की कमी महसूस होती है, पारिवारिक दुःख का अनुभव होता है
तीसरे भाव मे केतु का फल
भाई-बहनों से अप्रसन्नता और शत्रुता, दुर्बल, अनुचित तरीकों का पालन करने वाला, आत्मविश्वास नहीं खोने वाला, अपने स्वार्थ की पूर्ति करने वाला प्रतीत होता है।
चौथे भाव मे केतु का फल
मातृ स्नेह की कमी हो जाती है, परिवार से अलग हो जाता है, अचल संपत्तियों, भूमि और भवनों में हानि होती है, बेचैनी और दुखी महसूस करता है, अपने ही स्थान पर गंभीर आपदाओं को सहन करना पड़ता है और अंततः लाभ और सुख प्राप्त करने में सफल होता है
पांचवे भाव मे केतु का फल
बच्चों से नाखुश, शिक्षा में कमी, दूसरों को अपने विचारों और शब्दों को समझाने में असमर्थ, गुप्त रहता है
छतवे भाव मे केतु का फल
शत्रुओं पर विजय पाने वाला, बहादुर, नाना से कम स्नेह पाने वाला, अचानक शत्रुओं का सामना करना पड़ता है और अंततः उन पर विजय प्राप्त करता है, पाप करता है।
सातवें भाव मे केतु का फल
पत्नी को खो देता है या उससे कामुक और यौन रूप से नाखुश रहता है, व्यवसाय में समस्याएं पाता है, फिर भी हर चीज का सावधानी से सामना करता है और अंततः सफलता प्राप्त करता है
आठवे भाव मे केतु का फल
पीठ और पेट के निचले हिस्से में कमजोरी महसूस होती है, दैनिक दिनचर्या में लापरवाही होती है, उम्र के कारण कुछ समस्या होती है, बहुत घमंडी होता है और आजीविका के घर में सहयोग बनाता है, कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, अंत में कुछ प्रसिद्धि और प्रभाव मिलता है
नौवे भाव मे केतु का फल
भाग्य की उन्नति के लिए कठोर परिश्रम करता है, कुछ गुप्त स्थानों के प्रयोगों से उन्नति करता है, अधर्मी होता है परन्तु धर्म को दोष नहीं देता
दसवे भाव मे केतु का फल
पैतृक स्रोतों से कुछ कष्ट, हानि और कमी मिलती है, व्यवसाय में खुश नहीं, कड़ी मेहनत के बाद सफलता, मान-सम्मान की हानि, बहादुरी से काम करता है
ग्यारहवे भाव मे केतु का फल
भारी लाभ प्राप्त करता है और अधिक लाभ के लिए अधिक प्रयास करता है, हमेशा लाभ प्राप्त करने की कोशिश में लगा रहता है, कमाई में थोड़ा उतावला होता है, स्वार्थी होता है
बारहवे भाव मे केतु का फल
बहुत खर्च करता है और खर्च से चिंतित रहता है, दृढ़ निश्चय के साथ काम करता है, किसी तरह खर्च का प्रबंधन करता है और कभी-कभी कठिनाई महसूस करता है